उत्तराखंड में कुदरत का कहर जारी , 37 की मौत, 50 लापता
By: Team Aapkisaheli | Posted: 18 Jun, 2013
नई दिल्ली। पिछले दो दिनों से लगातार बारिश और भूस्खलन से उत्तराखंड में भारी तबाही हुई है। अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है। इन हालातों के चलते चारधाम यात्रा मार्ग को बंद करना पडा है, जिसकी वजह से करीब तीस हजार यात्री फंसे हुए हैं। जल भराव और नदियों के उफान पर होने की वजह से राज्यभर में करीब 40 हजार यात्री सडकों पर ही फंसे हुए हैं। ज्यादातर नदियां खतरे के निशान के पास बह रही हैं। उत्तरखंड की केदारनाथ घाटी से वासुका ताल इलाके में पहाडी के दरकने से केदारनाथ घाटी में पानी भर गया है। इसमें 10 लोगों के मरने और 50 लोगों के लापता होने की खबर है। अब तक दस लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इसके अलावा भारी बारिश के चलते भूस्खलन की दो अलग-अलग घटनाओं में आठ लोग मारे गए हैं। इनमें से पांच उत्तरकाशी और तीन देहरादून में मारे जाने की खबर है। इसके अलावा यहां 100 से ज्यादा घर दब गए हैं और कई गांवों में पानी भर गया है। राहत कार्यो के लिए आईटीबीपी, एसएसबी और सेना को बुलाया गया है। उत्तराखंड के दूसरे इलाकों में भी भारी बारिश की वजह से तबाही की खबरें हैं। कई मकान ढह गए हैं। रूद्रप्रयाग इलाके में भूस्खलन से पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि देहरादून में बारिश की वजह से तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। रूद्रप्रयाग में भूस्खलन की घटना में छह लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गए। बारिश से उत्तराखंड आने-जाने वाली कई सडकें बंद हो गई हैं। सबसे खराब हालात उत्तरकाशी में हैं. जहां कई पहाडी नदियां उफान पर आ गई हैं।
भारी बारिश की वजह से उत्तरकाशी के कई गांवों के लोग अपना घर छोडकर रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं। एहतियात के तौर पर जिला प्रशासन ने यहां के होटलों को भी खाली करा लिया है। सोमवार को भी बारिश का कहर जारी है और धनौल्टी में बादल फटने से 5 लोगों की मौत हो गई। भारी बारिश के चलते करीब 100 लोग लापता बताए जा रहे हैं। भारी बारिश के चलते राहत कायोंü में भी बाधा आ रही है। उत्तरकाशी में गंगा नदी उफान पर है। यहां एक मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गया और फिर नदी की तूफानी रफ्तार में बह गया। नदी के किनारे बनी तीन मंजिली इमारत देखते ही देखते पानी में समा गई। नदी की तेज रफ्तार में पहले मकान का एक हिस्सा गिरा और फिर देखते ही देखते पूरी की पूरी इमारत नदी के तेज बहाव में समा गई। अच्छी बात यह रही कि मकान के नदी में समा जाने से कुछ घंटे पहले ही यहां रह रहे लोगों ने खतरे को भांपते हुए इसे खाली कर दिया था। गंगा का जलस्तर यहां अचानक बढ जाने से नदी किनारे रहने वाले लोग दहशत में हैं। उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद असिगंगा और भागीरथी में जल स्तर बढ गया है। वहीं लगातार हो रही बारिश की वजह से गंगा और यमुना का जल स्तर भी तेजी से बढा है। इससे नदी से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों की शामत आ गई है। उत्तरकाशी में पिछले दो दिनों से यहां लगातार बारिश हो रही है। यहां कई घर बारिश और तेज बहाव की भेंट चढ चुके हैं। लोगों को और नुकसान का डर सता रहा है। कुमाऊं और गढवाल मंडल में भी भारी बारिश हो रही है, इससे जनजीवन ठहर सा गया है।
पहाडों पर बसे सैंकडों गांवों का संपर्क देश दुनिया से कट गया है। चार धाम यात्रियों को ऋषिकेश से आगे नहीं जाने दिया जा रहा है। हरिद्वार में भी गंगा खतरे के निशान के करीब पहुंच गई है जिसके चलते गंगा तट पर बसे सैकडों गांवों में बाढ का खतरा अभी से मंडराने लगा है। दो दिन से लगातार हो रही बारिश के चलते गंगा का जल स्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है। लेकिन बारिश का जो आलम है उससे हालात और खराब होने की पूरी आशंका बनी हुई है। वहीं सिंचाई विभाग ने कई जिलों में अभी से अलर्ट जारी कर दिया है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के राज्य से बाहर होने के कारण राजस्व मंत्री ने फिलहाल राहत और बचाव कार्य की कमान संभाली है। çRकेटर हरभजन सिंह भी भारी बारिश की वजह से उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब जाते वक्त रास्ते में फंस गए। लेकिन उत्तराखंड में अभी राहत की उम्मीद नहीं है। मौसम विभाग से अच्छी खबर नहीं मिल रही है। मौसम विभाग की मानें तो अगले बहत्तर घंटे तक बारिश उत्तराखंड में यूं ही कहर बरपाएगी।