बाथरूम हो वास्तु के अनुसार
By: Team Aapkisaheli | Posted: 03 Feb, 2014
स्त्रानागार - प्राचीन शास्त्रों में स्त्रान घर के लिए केवल एक ही स्थान प्रशस्त बताया गया है, वह है पूर्व मध्य दिशा। स्त्रान घर कभी भी अग्निकोण तथा ब्रrा स्थान में प्रशस्त नहीं है।
आजकल सुविधा की दृष्टि से स्त्रानघर को शौचालय से जो़डकर बनाया जाता है। जहां तक हो सके ऎसी स्थिति में पानी का ढलान पूर्व व उत्तर दिशा की तरफ ही रखा जाना चाहिए। सीवरेज लाइन की सुविधा शहर में हो तो पानी या शौचालय के लिए वर्जित स्थानों में गढढ्ा नहीं करना चाहिये। शौचालय व स्त्रानघर के अवशिष्ट पानी के निकास के लिए कई बार मकान में गढढ्ा बना देने से अवांछित दोष उत्पन्न हो जाते हैं। यह गढढ्ा अगर 5-6 फुट से अधिक हो तो नुकसान दे सकता है। यदि पानी के मकान से बाहर निकास की उचित व्यवस्था हो जाए व इस तरह के अवशिष्ट को भूखंड में प्रवेश से रोक दिया जाए तो दोष को कम किया जा सकता है।