गर्भावस्था में दमा का अटैक गंभीर, बरतें सावधानी
By: Team Aapkisaheli | Posted: 08 May, 2019
उन्होंने कहा कि एक रिसर्च के अनुसार इंहेलर के गलत
इस्तेमाल के कारण गले में दवा के कण इकट्ठे होने से गले के कैंसर होने का
खतरा भी होता है। इसलिए इंहेलर का सही ढंग से प्रयोग करना जरूरी है। अस्थमा
के पीडि़तों को इंहेलर का प्रयोग करते समय तुरन्त मुंह नही खोलना चाहिए,
जिससे दवा के कण सीधे फेफड़ों में पहुंच सकें। इसके साथ ही इंहेलर इस्तेमाल
करने का सही तरीका हमेशा डॉक्टर से चेक कराते रहें, जिससे अस्थमा को
नियंत्रित करने में मदद मिल सकें।
बालाजी एक्शन मेडिकल
इंस्टीट्यूट के सीनियर कंसलटेंट रेस्पीरेटरी मेडिसीन डॉ. ज्ञानदीप मंगल के
अनुसार, ‘‘अस्थमा की बीमारी सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों में कभी भी हो सकती
है। अस्थमा रोग जनेटिक कारणों से भी हो सकता है। अगर माता-पिता में से
किसी एक या दोनों को अस्थमा है तो बच्चें में इसके होने की आशंका बढ़ जाती
है। इसके साथ ही वायु प्रदूषण, स्मोकिंग, धूल, धुआं और अगरबत्ती अस्थमा रोग
के मुख्य कारणों में शामिल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व स्वास्थ्य
संगठन के अनुसार दुनियाभर में लगभग 33.9 करोड़ लोग अस्थमा से प्रभावित है,
जिसमें भारत में 2-3 करोड़ लोगों को अस्थमा की बीमारी है। वैसे तो अस्थमा
के रोगियों कभी भी अटैक पड़ सकता है लेकिन यदि किसी मरीज को खाने की किसी
चीज से एलर्जी है तो अस्थमा का एक बड़ा अटैक पडऩे की आशंका बढ़ जाती है।
इसके साथ ही पोलेन, प्रदूषण, श्वसन संक्रमण, सिगरेट के धुंआ भी अस्थमा के
जोखिम को बढ़ा देते है।’’
(आईएएनएस)
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