गुलजार की हसीना नज्में पेश हैं...
By: Team Aapkisaheli | Posted: 17 Aug, 2017
तुम्हारे
गम की डली उठा कर जुबान पर रख ली हैं मैंने वह कतरा-कतरा ही जी रहा हूं
पिघल पिघल कर गले से उतरेगी, आखरी बूंद दर्द की जब मैं सांस की आखरी गिरह
को भी खोल दूंगा।
#घरेलू उपाय से रखें पेट साफ