माहे-ए-रमजान:इबादत और नेकियों का महीना
By: Team Aapkisaheli | Posted: 12 Jun, 2016
जब
अल्लाह की रहा में देने की बात आती है तो हमारी जेबों में सिर्फ चंद रूपए
निकलते हैं, लेकिन जब हम अपनी शॉपिंग के लिए बाजार जाते हैं वहां हजारों
खर्च कर देते हैं। कोई जरूरतमंद अगर हमारे पास आता है तो उस वक्त हमको अपनी
कई जरूरतें याद आ जाती हैं। यह लेना है, वह लेना है, घर में इस चीज की कमी
है। बस हमारी ख्वाहिशें खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं।