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करना है सपनों को सकार...पढें

By: Team Aapkisaheli | Posted: 20 Sep, 2016

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करना है सपनों को सकार...पढें
जॉब मार्केट में जरूरत बिजनेस स्कूलों की ऐसी स्पेशियलिटी वाले प्रोग्राम तभी शुरू करने चाहिए, जब उनके पास इसके लिए सही रिसोर्सेज और इन्फ्रास्ट्रच्कर हों। अन्यथा बेहतर एजुकेशन की उम्मीद बेमानी ही है। भारत में वाले स्पेशियलिटी एमबीए कोर्स अनुभवी फैकल्टी के अभाव में प्रभावित होते हैं। इनके एजुकेशनल मॉडल परंपरागत बिजनस स्कूल से काफी अलग होते हैं। दरअसल ये प्रोग्राम्स किसी खास सेक्टर की जरूरत के अनुरूप बनाए जाते हैं। प्रोग्रामचलाने में और इसकी रूपरेखा तैयार करने में इंडस्ट्री की सक्रिय भागीदारी जरूरी होती है। छात्रों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे क्लास में बनी समझ और शिक्षा को नियमित इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट्स के दौरान अजमाएं और यह इस प्रकार के कार्यक्रम की पहचान भी होनी चाहिए।
भारतीय बिजनस स्कूलों का अप्रोज सामान्यतया लोकल होता है और वे पुराने केस स्टडी और मेथडोलाजी का इस्तेमाल करते हैं। नए बिजनेस स्कूलों में वह सब होता है, जिसकी जरूरत है, पर इसे जॉब मार्केट को स्वीकार्य  करने में समय लगेगा, क्योंकि इन्हें स्वयं को साबित करना बाकी है। फैकल्टी  और रिसर्च भारत के अधिकांश बी-स्कूलों में मजबूत नहीं है। पर स्पेशियलिटी वाले एमबीए प्रोग्राम्स, जिसे उद्योगों का समर्थन मिला हो और जो सीधे उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं, उन्हें जॉब के बाजार में मान्यता मिलती है।
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