1 of 1 parts

देश पर दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा कैंसर का बोझ

By: Team Aapkisaheli | Posted: 15 May, 2019

देश पर दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा कैंसर का बोझ
नई दिल्ली। पिछले 26 वर्षों में भारत में कैंसर का बोझ दोगुना से अधिक हो गया है। स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, मुंह और फेफड़े के कैंसर एक साथ देश में बीमारी के बोझ का 41 प्रतिशत हैं। रोकथाम की महत्ता पर जागरूकता पैदा करना समय की जरूरत है।
आंकड़े यह भी बताते हैं कि वर्ष 2018 से 2040 के बीच प्रथम कीमोथेरेपी की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या 98 लाख से बढक़र 1.5 करोड़ हो जाएगी।

द लांसेट, ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कीमोथेरेपी के योग्य रोगियों की संख्या में 2018 के 63 प्रतिशत से 2040 में 67 प्रतिशत तक की एक स्थिर वृद्धि देखी जाएगी।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.के.के. अग्रवाल का कहना है, ‘‘हमारे देश में कैंसर की व्यापकता एक समान नहीं है। कैंसर के प्रकारों में अंतर है, जो लोगों को ग्रामीण और शहरी सेटिंग्स के आधार पर प्रभावित करता है। ग्रामीण महिलाओं में, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर सबसे व्यापक है, जबकि शहरी महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे उग्र है।’’

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष माउथ कैविटी कैंसर से प्रमुख रूप से प्रभावित होते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में फेफड़े के कैंसर से प्रभावित होते हैं। हालांकि कैंसर इस तरह की घटनाओं में तेजी से वृद्धि के साथ एक महामारी बन गई है। विडंबना यह है कि कैंसर की दवाएं बहुत महंगी हैं और एक आम आदमी की पहुंच से परे हैं। इस प्रकार, सस्ती कैंसर दवाओं के साथ लोगों को राहत प्रदान करने के लिए मूल्य नियंत्रण बहुत आवश्यक है। एक व्यक्तिगत स्तर पर जल्द से जल्द निवारक कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है।

डॉ.अग्रवाल ने कहा कि कैंसर संबंधित बीमारियों के संग्रह का एक नाम है, जो तब होता है, जब असामान्य कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित रूप से बढऩे लगता है, जो अक्सर एक ट्यूमर बनाता है। ट्यूमर या तो सौम्य या घातक हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि कैंसर के सही कारण का पता नहीं चला है, लेकिन शोध बताता है कि कुछ जोखिम कारक किसी व्यक्ति के कैंसर के विकास की संभावना को बढ़ा सकते हैं। इनमें ऐसी चीजें शामिल हैं, जिन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। जैसे उम्र और परिवार का इतिहास। जीवनशैली के विकल्प जो आपके कैंसर की संभावना को बढ़ाते हैं, उनमें धूम्रपान, मोटापा, व्यायाम की कमी और खराब आहार शामिल हैं।’’

उन्होंने आगे कहा कि नैदानिक निवारक देखभाल के चार प्रमुख प्रकार हैं : टीकाकरण, स्क्रीनिंग, व्यवहार परामर्श (जीवन शैली में परिवर्तन), और कीमोप्रिवेंशन। स्क्रीनिंग एक स्पर्शोन्मुख रोग, अस्वास्थ्यकर स्थिति या जोखिम कारक की पहचान है। प्राथमिक रोकथाम रोग को होने से रोकने के लिए हस्तक्षेप है (जैसे, संचारी रोग के लिए टीकाकरण)। प्रारंभिक स्पर्शोन्मुख रोग (जैसे, स्क्रीनिंग) का पता लगाने के रूप में माध्यमिक रोकथाम और तृतीयक रोकथाम रोग की जटिलताओं को कम करने के रूप में (उदाहरण के लिए, मधुमेह के रोगियों में आंखों की जांच)। यह नामकरण कुछ अन्य विषयों द्वारा अलग तरीके से लागू किया जाता है।

डॉ.अग्रवाल के कुछ सुझाव :
-लक्षणों पर ध्यान दें और नियमित रूप से जांच करवाएं।
-किसी भी प्रकार की तंबाकू का उपयोग करने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। तंबाकू के सेवन से बचना या रोकना कैंसर की रोकथाम में सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
-नल के पानी को अच्छी तरह से छान लें, क्योंकि यह संभव कार्सिनोजेन्स और हार्मोन-विघटनकारी रसायनों के आपके जोखिम को कम कर सकता है।
-बहुत सारा पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने से मूत्राशय के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे मूत्र में कैंसर पैदा करने वाले एजेंटों की एकाग्रता कम हो जाती है और मूत्राशय के माध्यम से उन्हें तेजी से प्रवाहित करने में मदद मिलती है।
-सबसे महत्वपूर्ण है कि जीवनशैली में बदलाव करें, जैसे कि स्वस्थ आहार लेना और नियमित व्यायाम करना। फल और सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती हैं जो बीमारियों को दूर करने में मदद कर सकती हैं।
(आईएएनएस)

# जानें किस राशि की लडकी का दिल जितना है आसान!


Cancer burden growing at double the India

Mixed Bag

Ifairer