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सार्वजनिक रूप से अपमानित होने पर मर जाती हैं बच्चों की भावनाएँ, टूटता है भरोसा

By: Team Aapkisaheli | Posted: 08 Nov, 2021

सार्वजनिक रूप से अपमानित होने पर मर जाती हैं बच्चों की भावनाएँ, टूटता है भरोसा
सार्वजनिक रूप से अपमानित होने पर मर जाती हैं बच्चों की भावनाएँ, टूटता है भरोसा
अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि माँ-बाप अपने बच्चों को उनकी हर छोटी-बड़ी गलती के लिए डाँटते रहते हैं। इस कार्य को करते वक्त माँ-बाप यह तक भूल जाते हैं कि वह अपने बच्चे को दूसरे व्यक्तियों के सामने इस तरह से डाँट रहे हैं। माँ-बाप द्वारा अपने प्रति किए गए इस तरह के व्यवहार से बच्चे न सिर्फ आहत होते हैं अपितु वे अन्दर से टूट भी जाते हैं। उन्हें ऐसा महसूस होने लगता है कि उनका अपना कोई वजूद ही नहीं है। सार्वजनिक तौर पर बच्चों को डाँटने से उनके मानसिक स्वास्थ्य और क्षमताओं पर बुरा असर पड़ता है। कई ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जहाँ बच्चे माँ-बाप की इस हरकत के चलते स्वयं को असुरक्षित व दबा हुआ महसूस करने लगते हैं। इससे बच्चे का वो विकास नहीं हो पाता जो प्राकृतिक तौर पर होता है।
बच्चों में नहीं होता आत्मसम्मान यह हमारी भूल है
हमें ऐसा महसूस होता है कि बच्चों में अपने मान-सम्मान की समझ नहीं होती है। यह सोच बिलकुल गलत है। इसी सोच के चलते हम बच्चों को सार्वजनिक तौर पर अपमानित करते हैं। इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर 3-4 साल की उम्र का होने तक बच्चों में आत्मसम्मान की भावना आनी शुरू हो जाती है। एक बार आत्मसम्मान की भावना आ जाने पर जब भी आप उन्हें सार्वजनिक रूप से किसी काम का दोषी ठहराते हैं, बुरा कहते हैं, डांटते हैं या मारते हैं, तो उन्हें मार से ज्यादा दुख अपनी बेइज्जती का होता है। इस वाक्ये को बार-बार दोहराया जाता है तो बच्चे आत्मसम्मान की कमी महसूस करने लगते हैं। इसलिए बच्चों को सार्वजनिक रूप से डाँटना, मारना, चिल्लाना नहीं चाहिए।

टूटता है माँ-बाप का भरोसा
बच्चों से माँ-बाप का रिश्ता गहरा होता है। यह रिश्ता आपसी भरोसे पर टिका होता है। जहाँ बच्चे को महसूस होता है कि यदि वह कहीं गलत होगा तो माँ-बाप उसका साथ देंगे। यह भरोसा ही बच्चे को माँ-बाप के साथ जोडक़र रखता है। यह भरोसा वक्त के साथ पैदा होता है। लेकिन जब कोई व्यक्ति बच्चों को सार्वजनिक रूप से डांटता, चिल्लाता या मारता है, तो इससे उस व्यक्ति के प्रति बच्चे का भरोसा टूटता है। ऐसे बच्चों के मन में यह बात आती है कि उनके अभिभावक उनकी इज्जत नहीं करते हैं।

बढ़ती है बगावत की भावना
असंतोष की वजह से बगावत का जन्म होता है। बेइज्जती अपमान असंतोष का सबसे बड़ा कारण होता है। जब बच्चा यह महसूस करता है कि उसके माँ-बाप उसकी गलती पर दूसरों के सामने उसे बेइज्जत करेंगे तो इससे उनमें बगावत की भावना उभरने लगती है। इस बगावत का असर यह होता है कि बच्चा अपने माँ-बाप के खिलाफ खड़ा होने लग जाता है। उसके अन्दर अपने लिए कुछ करने की भावना का विकास होता है। अगर बच्चे डर के मारे फैसले के खिलाफ नहीं भी खड़े हो पाते हैं, तो वो दूसरे तरीकों से इसका बदला चुकाते हैं जैसे- झूठ बोलना, धोखा देना, बिना बताए काम करना, कई बार जानबूझकर गलत काम करना।

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