Christmas 2018 : सांता क्लॉज कौन है और कहां से आता है?
By: Team Aapkisaheli | Posted: 24 Dec, 2018
हर
व्यक्ति के प्रति निकोलस के हृदय में दया भाव और जरूरतमंदों की सहायता
करने की उनकी भावना को देखते हुए मायरा शहर के समस्त पादरियों, पड़ोसी
शहरों के पादरियों और शहर के गणमान्य व्यक्तियों के कहने पर मायरा के बिशप
की मृत्यु के उपरांत निकोलस को मायरा का नया बिशप नियुक्त किया गया था
क्योंकि सभी का यही मानना था कि ईश्वर ने निकोलस को उन सभी का मार्गदर्शन
करने के लिए ही भेजा है।
बिशप के रूप में निकोलस की जिम्मेदारियां
और बढ़ गई। एक बिशप के रूप में अब उन्हें शहर के हर व्यक्ति की जरूरतों का
ध्यान रखना होता था। जहां भी कोई व्यक्ति परेशानी में होता, निकोलस उसी
क्षण वहां पहुंच जाते और उसकी जरूरतों को पूरा कर उसके धन्यवाद का इंतजार
किए बिना ही दूसरे जरूरतमंद की जरूरतें पूरी करने आगे निकल पड़ते। वह इस
बात का खासतौर पर ख्याल रखते कि शहर में हर व्यक्ति को भरपेट भोजन मिले,
रहने के लिए अच्छी जगह तथा सभी की बेटियों की शादी धूमधाम से सम्पन्न हो।
यही
कारण था कि निकोलस एक संत के रूप में बहुत प्रसिद्ध हो गए और न केवल आम
आदमी बल्कि चोर-लुटेरे और डाकू भी उन्हें चाहने लगे। उनकी प्रसिद्धि चहुं
ओर फैलने लगी और जब उनकी प्रसिद्धि उत्तरी यूरोप में भी फैली तो लोगों ने
आदरपूर्वक निकोलस को ‘क्लॉज’ कहना शुरू कर दिया। चूंकि कैथोलिक चर्च ने
उन्हें ‘संत’ का ओहदा दिया था, इसलिए उन्हें ‘सेंट क्लॉज’ कहा जाने लगा।
यही नाम बाद में ‘सेंटा क्लॉज’ बन गया, जो वर्तमान में ‘सांता क्लॉज’ के
नाम से प्रसिद्ध है।
समुद्र में खतरों से खेलने वाले नाविकों और
बच्चों से तो निकोलस को विशेष लगाव था। यही वजह है कि संत निकोलस (सांता
क्लॉज) को ‘बच्चों और नाविकों का संत’ भी कहा जाता है। निकोलस के देहांत के
बाद उनकी याद में एशिया का सबसे प्राचीन चर्च बनवाया गया, जो आज भी ‘सेंट
निकोलस चर्च’ के नाम से विख्यात है, जो ईसाई तथा मुसलमानों दोनों का
सामूहिक धार्मिक स्थल है।
(लेखक योगेश कुमार गोयल वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)
-- आईएएनएस
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