कोविड-19 एंटीबॉडी देती है स्थायी रोग प्रतिरोधक क्षमता
By: Team Aapkisaheli | Posted: 14 Oct, 2020
न्यूयॉर्क। एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 के लिए जिम्मेदार
वायरस सार्स-कोव-2 से संक्रमित होने के बाद मरीजों के शरीर में विकसित हुई
एंटीबॉडी के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कई महीनों तक बनी रहती है। इस बात
का प्रमाण मरीजों के शरीर का बढ़ना है। इम्यूनिटी जर्नल में प्रकाशित
तथ्यों को पाने के लिए अमेरिका में भारतीय मूल के शोधकर्ता के नेतृत्व वाली
शोध टीम ने करीब 6,000 लोगों के नमूने से एंटीबॉडी के प्रोडक्शन का अध्ययन
किया।
अमेरिका में एरिजोना विश्वविद्यालय से शोध लेखिका दीपा
भट्टाचार्य ने कहा, हम स्पष्ट रूप से उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडीज को अभी
भी सार्स-कोव-2 संक्रमण के पांच से सात महीने बाद प्रोड्यूस होता देख रहे
हैं।
जब एक वायरस पहली बार कोशिकाओं को संक्रमित करता है, तो
इम्यूनिटी सिस्टम अल्पकालिक प्लाज्मा कोशिकाएं तैयार करता है, जो वायरस से
तुरंत लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं। संक्रमण के 14 दिनों के
भीतर रक्त में वह उत्पादित एंटीबॉडी दिखाई देते हैं।
इम्यून
प्रतिक्रिया के दूसरे चरण में लंबे समय तक रहने वाले प्लाज्मा कोशिकाओं का
निर्माण होता है, जो उच्च गुणवत्ता वाले एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं जो
एक स्थायी इम्यूनिटी प्रदान करते हैं।
शोध टीम ने कोविड-19 से संक्रमित होने वाले लोगों पर कई महीनों में एंटीबॉडी के स्तर को ट्रैक किया।
उन्होंने
पाया कि सार्स-कोव-2 एंटीबॉडी कम से कम पांच से सात महीनों के लिए रक्त
टेस्ट में मौजूद हैं, हालांकि उनका मानना है कि प्रतिरक्षा बहुत लंबे समय
तक रहती है।
इससे पहले प्रारंभिक संक्रमणों से अतिरिक्त एंटीबॉडी
उत्पादन को लेकर शोध किया गया था, जिसमें पाया गया था कि संक्रमण के बाद
एंटीबॉडी का स्तर जल्दी गिर जाता है और वह अल्पकालिक इम्यूनिटी प्रदान करता
है।
शोध टीम का मानना है कि उन निष्कर्षो पर अल्पकालिक प्लाज्मा
कोशिकाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था और वे लंबे समय तक रहने वाले
प्लाज्मा कोशिकाओं और उनके द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी को ध्यान में रखने में
असफल रहे।
भट्टाचार्य ने कहा, हमने जिन संक्रमित व्यक्तियों पर
अध्ययन किया है, वे पिछले सात महीनों पहले संक्रमित हुए थे, इसलिए यह सबसे
लंबी अवधि है, ऐसे में हम इम्यूनिटी क्षमता की पुष्टि कर सकते हैं।
भट्टाचार्य
ने आगे कहा, हम जानते हैं कि जो लोग पहले सार्स कोरोनावायरस से संक्रमित
थे, जो कि सार्स-कोव-2 के समान वायरस है, उनमें संक्रमण के 17 साल बाद भी
इम्यूनिटी देखी जा रही है। (आईएएनएस)
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