दही खाओ निरोगी रहो
By: Team Aapkisaheli | Posted: 08 Nov, 2017
दूध
में लैक्टोबेसिल्स बुलगारिक्स बैक्टीरिया को डाला जाता है, इससे शुगर
लैक्टीक एसिड में बदल जाता है। इससे दूध जम जाता है और इस जमे हुए दूध को
दही कहते हैं। दूध के मुकाबले दही खाना सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है।
दूध में मिलने वाला फैट और चिकनाई शरीर को एक उम्र के बाद नुकसान पहुंचाता
है। इस के मुकाबले दही से मिलने वाला फास्फोरस और विटामिन डी शरीर के
लाभकारी होता है। दही में कैल्सियम को एसिड के रूप में समा लेने की भी खूबी
होती है। रोज 300 मि.ली. दही खाने से आस्टियोपोरोसिस, कैंसर और पेट के
दूसरे रोगों से बचाव होता है।
डाइटिशियन के मुताबिक दही बॉडी की गरमी को शांत कर ठंडक का एहसास दिलाता है। फंगस को भगाने के लिए भी दही का प्रयोग किया जाता है।
बीमारियां भगाता है दही :आज की भागदौड की जिंदगी में पेट की बीमारियों से
परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती है। ऎसे लोग यदि अपनी
डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का
नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में
अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ
पहुंचाते हैं। पेट में मिलने वाली आंतों में जब अच्छे किस्म के बैक्टीरिया
का अभाव हो जाता है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं।
इस के अलावा बीमारी के दौरान या एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद
विटामिन और खनिज हजम नहीं होते। इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन
जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है। इससे पेट में होने
वाली बीमारियां अपनेआप खत्म हो जाती हैं। दही खाने से पाचनक्रिया सही रहती
है, जिससे खुलकर भूख लगती है और खाना सही तरह से पच भी जाता है। दही खाने
से शरीर को अच्छी डाइट मिलती है, जिस से स्किन में एक अच्छा ग्लो रहता है।
इन्फेकशन से बचाव: मुंह के छालों पर दिन में 2-4 बार दही लगाने से छाले
जल्द ही ठीक हो जाते हैं। शरीर के ब्लड सिस्टम में इन्फेक्शन को कंट्रोल
करने में वाइट ब्लड सेल्स का महत्तवपूर्ण योगदान होता है। दही खाने से वाइट
ब्लड सेल्स मजबूत होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते
हैं।
बढती उम्र के लोगों को दही का सेवन जरूर करना चाहिए। जो लोग लंबी बीमारी से
लड रहे होते हैं, उन्हे दही अवश्य खाना चाहिए। दही उनके लिए बहुत फायदेमंद
होता है। सभी डायटीशियन एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान दही का नियमित सेवन
करने की राय देते हैं। दही के सेवन से हार्ट में होने वाले कोरोनरी आर्टरी
रोग से बचाव किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि दही के नियमित सेवन
से शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम किया जा सकता है।
सबके लिए लाभकारी: दही एक प्रिजर्वेटिव की तरह काम करता है। दही खमीरयुक्त
डेयरी उत्पाद माना जाता है। पौष्टिकता के मामले में दही को दूध से कम नहीं
माना जाता है। यह कैल्सियम तत्व के साथ ही तैयार होता है। कार्बोहाइडे्रट,
प्रोटीन और फैट्स को साधारण रूप में तोडा जाता है। इसलिए दही को प्री
डाइजेस्टिक फूड माना जाता है। दही को छोटे बच्चों के लिए भी उपयुक्त होता
है। जोलोग किसी कारण लैक्टोस यानी शुगर मिल्क का सेवन नहीं कर पाते वे भी
दही का सेवन कर सकते हैं। शुगर लैक्टीेक एसिड में बंट जाती है। बैक्टीरिया
भी कैल्सियम और विटामिन बी को हजम करने में मदद करता है।
अगर मीठा दही खाना हो तो इसमें चीनी की जगह पर शहद या ताजा फलों को मिलाया
जा सकता है। दही और छाछ गरमी को अंदर और बाहर दोनों तरह से बचाता है। दही
तपती धूप का प्रकोप रोकने में भी सहायक है। ठंडे या फ्रिज में रखे दही का
सेवन नहीं करना चाहिए। सदैव ताजा दही का ही सेवन करना चाहिए।
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