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स्कूलों में अनिवार्य होनी चाहिए शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा : डॉ. पारुल पुरोहित वत्स

By: Team Aapkisaheli | Posted: 05 Apr, 2022

स्कूलों में अनिवार्य होनी चाहिए शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा : डॉ. पारुल पुरोहित वत्स
स्कूलों में अनिवार्य होनी चाहिए शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा : डॉ. पारुल पुरोहित वत्स
मुझे मेरी बेटी सिमरन भगताणी के जरिये ख्यातनाम कथक गुरु और नृत्यांगना डॉ. पारुल पुरोहित वत्स से दो बात करने का मौका मिला। हालांकि यह बातचीत आमने-सामने नहीं हुई अपितु मोबाइल फोन के जरिये हम एक-दूसरे से परिचित हुए। मेरी बेटी सिमरन भगताणी एक कथक नृत्यांगना है, आज मुझे और उसकी माँ और उसके भाई को उसके नाम से जाना जाता है। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। संक्षिप्त बातचीत के जरिये मैंने डॉ. पारुल पुरोहित वत्स के बारे में जाना। जानने के बाद मैंने महसूस किया कि इनके बारे में दुनिया को भी जानना चाहिए।
डॉ पारुल पुरोहित वत्स एक कथक नर्तक, शिक्षाविद्, कोरियोग्राफर और कला प्रशासक हैं। उन्होंने विभिन्न शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के साथ नृत्य के माध्यम से बच्चों के विकास के लिए एक शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में काम किया है और वहां कथक नृत्य का प्रशिक्षण भी दिया है। उन्हें 2008 में ठुमरी और कथक के बीच संबंधों पर उनके शोध के लिए पीएचडी की डिग्री से सम्मानित किया गया था।

पाठकों के सामने पेश है उनसे हुई संक्षिप्त बातचीत का कुछ सार...
डॉ. पारुल पुरोहित को नृत्य से कितना अधिक प्रेम है और वे इसे कितना आगे बढ़ाना चाहती हैं इसका उदाहरण हमें उनकी इस बात से मिलता है कि उन्होंने विश्व मंच पर प्रसिद्ध होने के बाद नृत्य की जानकारी बच्चों को देने के लिए अपने उड़ते करियर को छोडक़र एक नृत्य शिक्षक के रूप में नया रास्ता चुना। हालांकि इसके लिए उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा।

इसे बारे में उन्होंने कहा, मैंने एक कलाकार के रूप में वर्षों से देखा है कि शास्त्रीय नृत्य शो में दर्शकों की संख्या दिन-ब-दिन घटती जा रही थी। मैंने महसूस किया कि शायद इसलिए कि नृत्य एक उचित विषय के रूप में औपचारिक शिक्षा प्रणाली का हिस्सा नहीं है, इस प्रकार समृद्ध इतिहास और विरासत कुछ ऐसा है जिसे बच्चे कभी नहीं जान पाते हैं। डांसर्स की कमी नहीं है बल्कि डांस को समझने वाले दर्शकों की कमी है। अकेले नृत्य या आइटम नहीं, बल्कि नृत्य शिक्षा इसकी बारीकियां, इसकी आध्यात्मिक अनुभूति और इसका स्तरित दृष्टिकोण। और हमारे नृत्य रूपों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पेश करने के लिए नियमित शैक्षणिक व्यवस्था से बेहतर जगह और क्या हो सकती है। इसलिए मैंने बड़ा निर्णय लिया और एक स्कूल में एक नृत्य शिक्षक के रूप में शामिल हो गयी।

हालाँकि, मुझे इसके लिए बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि कई साथी नर्तकियों और मेरे शिक्षकों को लगा कि यह खुद को नीचा दिखा रही है। एक स्टार कलाकार के कद से एक स्कूल शिक्षक के रूप में कदम रखना? यह मुझे प्राप्त हुई कई अन्य भद्दी टिप्पणियों में से एक थी। इसका मुझे बहुत नुकसान भी उठाना पड़ा, एक तरफ जहाँ मेरी प्रशंसा में कमी आई वहीं दूसरी तरफ मेरी कमाई पर भी इसका असर पड़ा। लेकिन मैं अपने निर्णय पर अटल रही।

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Dr. Parul Purohit Vats, Education of classical dance , compulsory, schools

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