गोरा रंग और काबिलियत
By: Team Aapkisaheli | Posted: 11 May, 2013
कहने सुनने में यह अजीब या असंगत लगे लेकिन भारत में यह कडवी सच्चााई है कि चाहे किसी लडकी की शादी की बात हो या फिर किसी मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी नौकरी की, चुनाव की प्राथमिकता गोरा रंग ही होता है। भारतीय समाज में लडकी का गोरा होना उतना ही अनिवार्य है जितना कि सब्जी में नमक का होना। भारतीय समाज में रंगत के चलते भेदभाव होना एक आम सामाजिक समस्या है जिसके चलते एक गहरी रंगत वाली लडकी को कभी न कभी खामियाजा भुगतना ही पडता है। वहीं यदि कोई लडकी मॉडल, एंकर या अभिनेत्री बनना चाहती है तो इन कòरियर क्षेत्र को चुनने की पहली शर्त लडकी का गोरा होना होता है। घर के लेकर बाहर तक लडकियों को अपनी गहरी रंगत के चलते कई प्रकार के भेदभाव से गुजरना पडता है। आखिर एक लडकी की स्किन का रंग काला या गोरा होना समाज के लोगो के लिए इतने मायने क्यों रखता है कि विदेश में भारतीयों के साथ यदि रंग के आधार पर भेदभाव होता है तो कितना हल्ला मचाया जाता है लेकिन जब अपने ही देश में लडकियों के साथ रंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है तो विरोध में कहीं से कोई आवाज भी सुनाई नहीं देती है।
मनावैज्ञानिकों की राय-
इन सभी प्रश्नों के उत्तर के रूप में मनौवैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय समाज हमेशा से पुरूष् प्रधान रहा है और आज भी है। çस्त्रयों को हमेशा से घर के काम करने और सजा-धजा कर घर में रखने की वस्तु के रूप में देखा जाता है। भारतीय मानसिकता के अनुसार घर में रखी जाने वाली कोई भी चीज सुंदर होनी चाहिए। जब स्त्री को भोग-विलास की वस्तु के रूप में देखा जाता है तो अपेक्षा की जाती है कि वह गोरी और सुंदर हो। वहीं अधिकतर पुरूषों की मानसिकता होती है कि वे शिक्षित, कम खूबसूरत लडकी को गर्लफ्रेंड तो बना सकते हैं लेकिन उन्हें पत्नी सुंदर और गोरी चिट्टी ही चाहिए। क्योंकि गोरी बीवी को वे और उसके घरवाले एक उपलब्धि के तौर पर मानते हैं और उससे पैदा होने वाली संतान गोरी होगी, ऎसी अपेक्षा करते हैं। इसीलिए सांवली रंगत वाली लडकी की खूबियों को भी नकार दिया जाता है। गोरी रंगत की चाहत के पीछे क्या मुख्य कारण हैं आइए जानते हैं-