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फलों में पौष्टिक तत्व होने से अनेक रोगों से रखे दूर

By: Team Aapkisaheli | Posted: 13 Apr, 2015

फलों में पौष्टिक तत्व होने से अनेक रोगों से रखे दूर फलों में पौष्टिक तत्व होने से अनेक रोगों से रखे दूर
फलों में पौष्टिक तत्व होने से अनेक रोगों से रखे दूर
अंगूर- अंगूर एक बलवर्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फ ल है। अंगूर फ ल मां के दूध के समान पोषक है। फ लों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऎसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फ ल दिया जा सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह स्पर को शुद्ध बनाता है तथा आंखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्धक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढाने वाला तथा तरावट देने वाला फ ल है। अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फ्लोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है । ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिए। अंगूर के सेवन से फेफ डों मे जमा कफ निकल जाता है, इससे खांसी में भी आराम आता है। अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है। श्वास रोग व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है। नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रूकावट में भी हितकर है। अंगूर का शरबत लो "अमृत तुल्य" है। शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्त्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है जिसकी कि रक्तस्त्राव के समय क्षति हुई है। अंगूर का गूदा ग्लूकोज व शर्करा युक्त होता है। विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन भूख बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आंखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी काले अंगूर का रस एस्प्रिन की गोली के समान कारगर है। एस्प्रिन खून के थक्के नहीं बनने देती है। बैंगनी काले अंगूर के रस में फ्लोवोनाइडस नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दांत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकडन होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। अंगूर फ ोडे-फु न्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। अंगूर के रस के गरारे करने से मुंह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। एनीमिया में अंगूर से बढकर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोडा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोडी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। अंगूर के सेवन से ह�ड्डयां मजबूत होती हैं। अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। भोजन के आधा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढता है और कुछ ही दिनों में पेट फू लना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है। अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।
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