अनचाहे गर्भ से बचाव अब बहुत ही आसान
By: Team Aapkisaheli | Posted: 12 Oct, 2017
बच्चो की किलकारियों से सूने घर में चमक आ आती है। उस की शरारतें सुन
माता-पिता का तन-मन प्रफुल्लित हो उठता है लेकिन बच्चे सीमित संख्या में
हों तो ही अच्छा रहता है। अति किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती। इसलिए आजकल
माता और पिता दोनों ही अवंाछित गर्भ से मुक्ति चाहते हैं। सदियों तक
दुनिया के किसी भी कोने में कानून और धर्म ने गर्भपात को मान्यता नहीं दी।
उनकी दृष्टि में गर्भपात जुर्म ही बना रहा। इसलिए अनचाहे गर्भ से छुटकारा
पाने के लिए महिलाओं को तरह-तरह की युक्तियंा आजमानी पडीं जिन के
परिणामस्वरूप अनेक महिलाओं को अपनी जानें तक गंवानी प़डी।
छुटकारा कैसे पाएं
अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए बहुत जरूरी है कि पति-पत्नी मिल कर
गर्भपात का निर्णय लें। तकनीकी विकास के कारण आज गर्भपात कराना बहुत आसान
हो गया है, इतना आसान कि गर्भपात के लिए अब महिला को अस्पताल में भर्ती
होने की भी जरूरत नहीं पडती।
5 से 9 सप्ताह का गर्भपात
डाक्टर की देखरेख में सिर्फ दवाओं की सहायता से किया गया गर्भपात यानी
मेडिकल गर्भपात सबसे आसान व सुरक्षित है। 9 सप्ताह तक के गर्भ से इस पद्धति
से मुक्ति पाई जा सकती है। गर्भ दवाइयों से ही गिराया जाता है, शल्य
चिकित्सा व औजारों की जरूरत नहीं पडती। गर्भ का पता लगने के तुरंत बाद
मेडिकल गर्भपात कराया जा सकता है। यह गर्भपात घर पर ही हो सकता है। इस के
लिए 2 प्रकार की दवाई 2 अवस्थाओं पर दी जाती है। एक दवा प्रोजेस्टोरोन
प्रतिरोधी (एंटीप्रोजेस्टरोन)होती है जो प्रेाजेस्टोरोन के एक्शन को रोकती
है। गर्भ की सुरक्षा के लिए प्रोजेस्टोरोन अत्यंत उपयोगी हारमोन है।
डाक्टर की सलाह
मेडिकल गर्भपात के लिए डाक्टर के पास 2 बार जाना जरूरी है। पहली विजिट में
डाक्टर गर्भ की स्थिति व समय के साथ अन्य कुछ जांचों के आधार पर आप को सलाह
देती है कि आप के लिए मेडिकल गर्भपात ठीक रहेगा या नहीं। मेडिकल गर्भपात
के कुछ दिन बाद फिर डाक्टर को दिखाना चाहिए। दवा का प्रभाव देखने के लिए
डाक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जाता है। जैसा कभी कभार प्राकृतिक गर्भपात
में भी होता है कि गर्भ के कुछ अंश गर्भाशय में ही रह जाते हैं। अगर ऎसा
होता है तो इन्हें डीएडसी या फिर वैक्यूम एक्सट्रेक्शन से तुरंत निकाला जा
सकता है।
फायदे मेडिकल
गर्भपात की सफलता दर 90 से 98 प्रतिशत है। यानि केवल 2 से 10 प्रतिशत
महिलाओं को मेडिकल गर्भपात के बाद सर्जिकल गर्भपात की जरूरत पड सकती है।
सर्जिकल गर्भपात
अगर किसी वजह से गर्भ 9 सप्ताह से अधिक समय का हो गया है तो इस से छुटकारा
पाने के लिए सर्जिकल गर्भपात सुरक्षित होगा। पहले 12 सप्ताह में सक्षन विधि
डायलेटेशन एंड इवेक्यूएशन (डीएंडई) से गर्भपात सुरक्षित रूप से किया जा
सकता है। यह एक छोटा सा ऑपरेशन होता है जिस में गर्भाशय ग्रीवा को सुन्न कर
दिया जाता है। गर्भाशय के लिए गर्भाशय ग्रीवा को डायलेटर से चौडा किया
जाता है और सक्शन केन्यूला लगा कर गर्भाशय में पल रहे गर्भ को सकिंग तकनीक
से बाहर निकाला जाता है। जैसे ही टिशू निकाल दिए जाते हैं गर्भाशय पुन:
संकुचित हो कर अपने सामान्य आकार का हो जाता है और बाकी बचे अंशों को भी
बाहर धकेल देता है। अधिकतर महिलाओं को इस दौरान मासिक धर्म के दौरान होने
वाले दर्द जैसी पीडा उठती है। ऎसा बहुत कम होता है कि दर्द की लहर न उठे।
जैसे ही ट्यूब हटाई जाती है दर्द अपनेआप कम हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया
में 5 से 10 मिनट का समय लगता है।
प्राकृतिक या मेडिकल गर्भपात के बाद भी जिन महिलाओं के गर्भ के कुछ अंश
गर्भाशय में रह जाते हैं, उन की क्लीनिंग भी इसी तकनीक से की जाती है। कुछ
घंटों के लिए मरीज को अस्पताल में रखा जाता है फिर घर भेज दिया जाता है। इस
आपरेशन के बाद कुछ दिन तक एंटिबायोटिक और दर्द निवारक दवाएं लेना जरूरी
होता है। इस तकनीक से गर्भपात में कुछ जटिलताएं हो सकती हैं लेकिन यह आशंका
2 प्रतिशत से भी कम होती है। गर्भपात के दौरान गर्भाशय में छूट गए अंश या
टिशू चिंता का कारण हो सकते हैं। वैसे तो इन्हें बाहर निकालने के लिए
गर्भाशय स्वयंमेव संकुचित हो जाता है। लेकिन अगर किसी वजह से गर्भाशय
संकुचित नहीं होता है तो इसे संकुचित करने के लिए दवाएं दी जाती है। अगर
दवाओं से लाभ नहंी होता तो डीएंडसी करनी पडती है। गर्भपात के दौरान औजारों
का प्रयोग होता है और गर्भद्वार भी खुला होता है। औजारों के माध्यम से व
खुले गर्भद्वार से इन्फेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया जाने का खतरा होता है।
18 से 20 माह का गर्भ
18 से 20 सप्ताह बीतने के बाद गर्भ से मुक्ति पाना मुश्किल हो जाता है
क्योंकि इतने समय में गर्भ में भ्रूण आकार ले चुका होता है। गर्भाशय
ग्रीवा को चौडा करने के लिए प्रोस्टाग्लेंडिग या वैसी ही कोई दवा गर्भाशय
ग्रीवा में रखी जाती है ताकि प्राकृतिक प्रसव जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो
सकें और गर्भाशय में संकुचन की लहर उठे। स्थिति अनुकूल होने पर गर्भाशय को
शल्य द्वारा खाली कर दिया जाता है। कानून के अनुसार इतनी अवधि के गर्भ
गिराने के लिए गर्भपात के समय कम से कम 2 स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टरों का
उपस्थित रहना जरूरी है। दवा से परहेज बेहतर है यानि अगर आप को बच्चा नहीं
चाहिए तो गर्भनिरोधक का अनिवार्य रूप से प्रयोग करें। महिलाओं के लिए एक और
अच्छी खबर ये है कि अब बाजार में ऎसी दवाएं भी उपलब्ध हैं जो गर्भ को
रोकने के लिए समागम के 36 घंटे बाद तक प्रभावशाली रहती हैं। अगर कभी गलती
से असुरक्षित यौन संबंध हो जाते हैं तो तुरंत इन दवाओं के सेवन से अनचाहे
गर्भ से बचा जा सकता है।
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