मोहर्रम का महत्व
By: Team Aapkisaheli | Posted: 23 Sep, 2017
इस्लाम में हजरत अली को शेरे-खुदा की उपाधि दी गई थी। उन्हें असदुल्लाह भी कहा जाता था।
ताजियादारी
को मानने वालों की मान्यता है कि जब कोई पुत्र की मन्नत पूरी होती है तो
उस बच्चे को हर साल मोहर्रम माह में शेर की तरह सजाया जाता है। यह शेर
घर-घर जाकर चंदा-रोटी मांगते हैं और ताजियों के जुलूस में तरह-तरह के करतब
भी दिखाते हैं।
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