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दांपत्य जीवन में सैक्स एक टॉनिक

By: Team Aapkisaheli | Posted: 02 Nov, 2017

दांपत्य जीवन में सैक्स एक टॉनिक
दांपत्य को नीरसता से बचाए रखने के लिए सैक्स बेहद जरूरी है, क्योंकि यह वह टॉनिक है, जो संबंधों में ऊष्मा बनाए रखता है। कोई भी पत्नी जब जब घर का सारा काम निबटा कर बैडरूम में घुसती है और पति उसे मुंह मो़डकर सोने की कोशिश में लगा मिले तो सहज ही कल्पना की जा सकती है कि उसके दिल पर क्या गुजरती है। स्वभाविक है कि पत्नी का इससे मूड बिग़ड जाएगा और दोनों में विवाद और बाद में जग़डों का कारण बन जाएगा। जब आपको जिससे प्यार मिलने का इंतजार हो और वह भी न मिले तो मन को बहुत ठेस पहुंचती है। पति-पत्नी के बीच यह पल भर की बेरूखी कभी-कभी भयंकर रूप ले लेती है। दांपत्य संबंधों को लेकर पनपी जरा सी कटुता सीधे पति-पत्नी के शारीरिक संबंधों पर आघात करती है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि दंपतियों के बीच शारीरिक संबंधों की व्याख्या करना मुश्किल है। इन संबंधों की हद क्या है, यह जटिल प्रश्न है। विवाहित दंपती के बीच सैक्स एक महत्वपूर्ण विषय है, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में उसकी गिनती रखना मुश्किल है, क्योकि शारीरिक संबंध महज एक शारीरिक क्रिया न होकर इससे कहीं बढ़कर भावनात्मक स्तर से जुडने की क्रिया है। व्यस्तता व तनाव - दांपत्य रिश्तों के जानकारों का कहना है, दंपतियों के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि सैक्स का मतलब महज शारीरिक संबंध कायम करना नहीं होता, बल्कि इस से कहीं ज्यादा भावनाओं का आपसी तालमेल होता है। वैवाहिक सलाहकारों को एक और समस्या का सामना करना पडता है, जिसमें कभी पति को तो कभी पत्नी को शिकायत रहती है कि उनके शारीरिक रिश्तों में अब पहले जैसी बात या चाहत नहीं रही। कोई शिकायत में यह भी कहता है कि वह इस बात से परेशान व दुखी है कि वह अपने साथी की रोज की सैक्स की मांग को कैसे पूरा करे। ऎसा क्यों होता है कि दंपतियों के जीवन में सैक्स की कमी आ जाती है।
इस सवाल पर डॉ. जितेंद्र नागपाल कहते है कि दंपती खुलेतौर पर स्वीकारते हैंं कि ऎसा नहीं है कि उनका एक-दूसरे के प्रति आकर्षण खत्म हो जाता है, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी से जुडा तनाव, ढेरों जिम्मेदारियां, बच्चों की पढाई, उनकी जरूरतें इन सभी बातों का मिला-जुला असर दंपतियों के वैवाहिक जीवन पर हद से ज्यादा पडता है। अगर जिंदगी में सैक्स ऑफिस जाते लंच के डब्बे की तरह हो जाए, तो वह उबाऊ और उकताहट से भरा लगने लगता है।
संबंधों में कटुता नहीं-
अगर दंपती अपने बीच की उलझनों और समस्याओं को बातचीत के जरिए नहीं सुलझाते तो उनकी उलझनें और समस्याएं उनके सैक्स जीवन में सबसे बडी बाधा उत्पन्न करती है। चाहे समस्या पूरी तरह से खत्म न हो, फिर भी बात कर लेने से मन में दबी कुंठाएं काफी हद तक दूर हो जाती हैं।
वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी का एक दूसरे से मुंह मो़डकर सो जाना एक समस्या बन जाता है।
मुझे स्वीकारा नहीं जाता, मुझे प्यार नहीं किया जाता, मुझे यह महसूस ही नहीं होता कि मेरी किसी को जरूरत है, तुम अपने मायके वालों में ही घुसी रहती हो, तुम्हे अपनी मां के आगे बीवी कुछ नही लगती, ये सब वे बाते हैं, जो सोते-जागते, उठते-बैठते एक दूसरे को कभी खीज कर तो कभी नाराजगी से कहीं जाती हैं, ये टोका-टिप्पणियां दांपत्य के प्यार के पलों को ले डूबती हैं। क्या पसंद है और नापसंद। क्या है जो रोमांचित कर देता है। किस बात से आप उखड जाते है। ये बात आपस से करनी जरूरी होती है वरना पति-पत्नी के बीच में बढती चुप्पी एक दिन उकताहट में बदल जाती है, जिससे सैक्स फिर बहुत दूर की चीज नजर आने लगता है।
अगर साथी की तरफ से अनुकूल व संकारात्मक प्रतिक्रिया न मिले, तो इस बात की शंका भी मन में घर कर जाती है कि क्या मेरे प्रणय प्रस्ताव को दूसरा स्वीकारेगा भी। उससे जुडा आनंद तो दूर की बात हो जाती है। यहीं स्थिति पति-पत्नी के जीवन में भूचाल ला देती है, क्योकि अस्वीकारा जाना उनके अपने-अपने आत्मविश्वास को डिगाता है। डॉ. संजय चुग के अनुसार, दंपतियों के बीच सबसे ब़डी समस्या यहीं है, वे अपने बीच में पल रहे सैक्स के आनंद को लेकर बात नहीं करते। वे उसे महज शारीरिक क्रिया मानकर खत्म कर देते हैं। दुख की बात है कि दंपतियों के बीच यह सोच रहती है कि जब काम हो गया, तो फिर उस विषय पर बात क्या करनी या बात करने को बचा ही क्या, ऎसा सोचना बिल्कुल गलत है और ऎसी ही सोच आपके दांपत्य जीवन को नीरस बना देती है।
सैक्स शारीरिक-मानसिक जरूरत
माधवी दत्ता के अनुसार, इतनी भागदौड की जिंदगी जीने के बाद थकान आपके दिल और दिमाग दोनों पर पूरी तरह छा जाती है। कभी पति मुंह मो़ड कर सो जाता है, तो कभी पत्नी, ऎसी स्थिति में मन के किसी कोने में यह चिंता भी सताने लगती है कि इस तरह की जिंदगी से कहीं बुढापा तो जल्दी नहीं आ जाएगा। पत्नियां सोचने लगती हैं कि क्या उनके पति का आकर्षण उनके प्रति बरकरार है। क्या उनका शरीर पति के मधुर प्रस्तावों पर वैसे ही सिहर उठेगा जैसे कुछ साल पहले तक सिहर उठता था। पति भी कुछ इसी तरह की परेशानियों में डूबते उतराते हैं। ऎसी स्थिति न आए, इसके लिए दंपतियों को यह हमेशा याद रखना चाहिए कि सैक्स एक शारीरिक, जैविक, भावनात्मक और मानसिक जरूरत है। उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना ही ठीक है, क्योकि यह बिखरते दांपत्य को मजबूत और फूलता-फलता बनाने में मदद करता है।
ताकि नीरस न हो दांपत्य
 जरूरत है, दांपत्य में थोडे रोमांच, प्रेम व स्त्रेहपूर्ण व्यवहार की, क्योकि जिंदगी को एक-दूसरे से मुंह मो़डकर नहीं जिया जा सकता।
 आपस में बात जरूर करें। सैक्स से जुडे अपनी इच्छाएं, रूचियां, पसंद एक-दूसरे के साथ शब्दों के माध्यम से अवश्य बांटें, क्योकि इनके बिना आप एक-दूसरे को समझ नहीं पाएंगे।
  झिझक को अपने से दूर रखे, क्योकि झिझक दांपत्य रिश्तों की मधुरता को कम करती है।  एक-दूसरे के सुख व आनंद के प्रति संवेदनशील रहें तथा झूठ का सहारा इन नाजुक पलों में कभी न लें।
  बैडरूम में ल़डें नहीं, मुझे हाथ मत लगाओं, मेरे पास मत आना, ऎसे वाक्यों का इस्तेमाल न करें, क्योकि ये दांपत्य व सैक्स के बीच की खाई को और बढा देते हैं।
  सैक्स को बेगार न समझें, जिसमें एक-दूसरे से जल्दी से जल्दी छुटकारा पाने की इच्छा प्रबल हो जाती है बल्कि अपने नजदीकी पलों का पूरा-पूरा आनंद लें। रीटा एक पढी-लिखी महिला है। पति बाहर कंपनी में नौकर हैं इसलिए वह वह अपना अच्छा-खासा करियर छो़डकर घर व दो टीनएज बच्चों को संभाल रही है। पति से 5-6 महीने की दूरी उनके वैवाहिक जीवन की आम बात है। इसके बावजूद टीना अपने दांपत्य जीवन को लेकर बेहद खुश रहती है। उनके अनुसार सैक्स विटामिन की तरह शरीर व मन के लिए जरूरी होता है। ऎसी सुंदर अनुभूति को आप एक दूसरे से मुंह मोड कर नहीं गुजरने दे सकते। दूसरा, यह कोई पेट भर खाने जैसी भूख भी नहीं है, बल्कि एक गहरी व्यक्तिगत, मधुर, अनुभूति है, जिस के लिए आप को आपसी तारतम्य, झुकाव व आकर्षण की जरूरत पडती है।

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