इंकार से इतना डर क्यों
By: Team Aapkisaheli | Posted: 31 July, 2018
कोई
इंटरव्यू देते समय डेटिंग में या विवाह तय होते समय हम सभी के मन में कहीं
न कहीं यह भय होता है कि हमें "न" तो नहीं कह दिया जाएगा। यह भय बढता है
तो फोबिया बन जाता है और मुश्किल खडी कर देता है। रिजेक्शन के भय की जडें
बचपन में छिपी होती हैं। माता-पिता जब दो बच्चों के बीच तुलना करते हैं तो
भय का बीज बो रहे होते हैं। बाद के जीवन में इसका सामना न कर सके तो यह
व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगता है। दो ही रास्ते हैं या तो इस
भय में जीते रहें या इसे भूलकर आगे बढें। एक लेखक की पंाक्तियां हैं "दरअसल
लोग इनकार से ज्यादा उसकी कल्पना करते हुए डरते हैं। सफल जीवन के लिए
जरूरी है कि इस भय का सामना करें और इसे जिंदगी का एक सबक समझें....।
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स्त्रियों में अधिक होता है यह भय
ऎसे पुरूष व स्त्रियां जो बेहद खूबसूरत दिखना चाहते हैं रिजेक्शन के भय से
ज्यादा ग्रस्त होते हैं। इसका कारण है कि वे हमेशा अपने साथियों से अपनी
तुलना करते रहते हैं। एक स्टडी के मुताबिक खूबसूरत दिखने का दबाव पुरूषों
की तुलना में स्त्रियोंपर आधिक होता है। ऎसी लडकियां जो खूबसूरत
अभिनेत्रियों को आदर्श मानती हैं उनमें यह सौंदर्य-सतर्कता आधिक होती है।
जाहिर है उनमें रिजेक्शन का भय भी आधिक होता है।
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भय के लक्षण
माता-पिता यदि बच्चो की दूसरों से तुलना करने लगें तो उसे लगता है कि वह
अच्छा नहीं है। यह बात उसके मन में बैठ जाती है। समय के साथ यह भय फैलता
है। व्यक्ति अपने दायरे में सिमटने लगता है वह अपनी भावनाएं शेयर नहीं कर
पाता। वह धीरे-धीरे अपना व्यक्तित्व खोने लगता है। वह "परफेक्ट व्यक्ति" की
तरह बोलने-काम करने की कोशिश करता है। वह किसी को "न" नहीं कह पाता। साथ
ही दूसरों को नजदीक लाने से घबराता है। वह अपनी छवि दूसरों के हिसाब से
गढनें लगता है। खुद को स्वीकार नही पाता।
कैसे उबरें इस डर से
शुरू में ही इस भय से उबरने की कोशिश न की जाए तो बाद में व्यवहार संबंधी दिक्कतें भी पैदा हो सकती हैं। कुछ टिप्स इससे उबरने के-
अपने बारे में अपनी राय बदलें: अगर कोई अपनी बातों से आपको आहत करता है या
चोट पहुंचाता है तो इसका अर्थ यह नही है कि आप खुद को उसकी नजर से देखने
लगें। दूसरों की राय को महत्व देने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपकी अपने
बारे में क्या राय है। इनकार के भय को चुनौती मानें। अपने विचारों को
वास्तविकता के धरातल पर सोचें तो इस भय को खत्म करने मेे मदद मिलेगी। भय के
बारे में लिखे: जिन चीजों से भय लगता है उन्हें महसूस करें कि यह भय किस
स्तर पर है। बेहतर तरीका है कि एक कागज-कलम लेकर लिखें कि भविष्य के बारे
में सोचते हुए क्या महसूस करते हैं। यह लिखने के बाद कि कौन सी बात आपको
भयग्रस्त करती है अगला कदम यह सोचने का है कि आपके भय कितने वास्तविक हैं।
किसी खास घटना या स्थिति में ऎसा लगता है कि भय वास्तविक है लेकिन वह समय
गुजरने के बाद वे भय निरर्थक भी लगने लगते हैं। करीबी लोग भी दें सहयोग एक
वेबसाइट के सर्वेक्षण के अनुसार करीबी लोगों के प्रयास भी व्यक्ति को इस
भय से उबरने में मदद कर सकते हैं-
भावनाएं शेयर करना सिखाएं: अपनी लाइफस्टाइल बदलना और अपने प्रति ईमानदार
रहना सिखाएं। उसे अपनी भावनाएं शेयर करने को कहें। उससे एक सामान्य व्यक्ति
की तरह व्यवहार करें। उसे खुद के प्रति आशावादी बनने के लिए प्रोत्साहित
करें। कभी भी उसे नजरअंदाज न करें। उसकी बात ध्यान से सुनें और उसे महत्व
दें।
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