आपकी कुंडली का पितृदोष बनते काम तो नहीं बिगाड रहा?
By: Team Aapkisaheli | Posted: 08 Dec, 2018
कई बार जीवन में ऐसा होता है जब जातक किसी भी काम में लंबे समय तक सफल
नहीं हो पाता। कोई काम शुरू अच्छाा होता है लेकिन ऐन मौके पर बना बनाया काम
बिगड जाता है। इसे ज्योीतिष की भाषा में पितृदोष भी कह सकते हैं। सूर्य को
जगत की आत्मा एवं पिता का कारक ग्रह कहा गया है। जन्मकुंडली में पिता का
विचार भी सूर्य से होता है। इसी प्रकार चन्द्रमा मन एवं माता का कारक ग्रह
है। व्यक्ति की जन्मकुंडली में सूर्य जब राहु की युति में हो तो ग्रहण योग
का निर्माण होता है। सूर्य का ग्रहण, अत: आत्मा, पिता का ग्रहण हुआ। इन
दोनों की युति व्यक्ति पर पितृदोष की सूचक है। शनि जहाँ अन्धकार का सूचक
ग्रह है, वहीं सूर्य ज्ञान एवं प्रकाश का। जन्मकुंडली में शनि ग्रह की
सूर्य पर दृष्टि भी पितृदोष का निर्माण करती है।
तीन प्रकार की पीडा
पितृदोष से व्यक्ति आधि, व्याधि, उपाधि---इन तीनों प्रकार की
पीडाओं से कष्ट उठाता है। उसके प्रत्येक कार्य में अडचनें, विघ्न-बाधा
अवश्य आती है। जीवन का कोई भी कार्य सामान्य रूप से निर्विघ्न सम्पन्न नहीं
होता। दूसरों की दृष्टि में व्यक्ति भले ही साधन-सम्पन्न एवं सुखी दिखाई
दे, परन्तु आन्तरिक रूप से सदैव दु:खी रहता है। जीवन में पग-पग पर कष्टों
का सामना करना पडता है।
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