लाइफ पार्टनर पर शक होते ही डीएनए टेस्ट
By: Team Aapkisaheli | Posted: 08 Jun, 2013
आज हमारे समाज में जो सचाईयां समाने आ रही हैं। रिश्तों में विश्वास की डोर किस तरह टूट रही है जो जोडियां ऊपर वाले ने सात जन्मों तक के लिए बनाई है वह आज अंदर से खोखले रिश्तों में विश्वास की डोर किस तरह टूट रही है इसका उदाहरण है डीएनए टे�स्ंटग के आने वाले केस । युवा बर्ग जो या तो लिव इन रिलेशन में हैं या जो आईटी या किसी बडी कंपनियों में ऊचें पद पर कार्य करते हैं और अच्छे वेतन पर रहे हैं, यह टेस्ट कराते है क्योंकि इन लोगों के पास पैसा और शोहरत तो है इनको संतुष्टि नहीं होती । तो क्या हम यह मान लें लोगों के पास पैसा तो है लेकिन मानसिक शांति नहीं रहीं। चाहे वो पति हो या पत्नी ही क्यों न हो । क्या कारण हो सकता है कि एक व्यक्ति एक संबंध में संतुष्ट नहीं होता और घर व रिश्ते से बाहर नयी एक्साइटमेंट ढ़ूंढता है। बडे शहरों के पढे-लिखे युवा यह जानना चाहते है कि कहीं उनके साथी का किसी और से संबंध तो नहीं, वहीं छोटे शहरों के पति यह जानना चाहते है कि बच्चाा उनका है या किसी और का। शारीरिक संतुष्टि मिलती है, पर मानसिक धरातल पर नहीं। कई बार साथी शारीरिक रूप से ही संतुष्ट नहीं कर पाता । यह स्थिति हर समाज में सदियों से चली आ रही है। विवाहेतर संबंध, शक्की पति या पत्नी, शक की बिना पर संबंध विच्छेद हमेंशा से थे । पर अब तकनीक और विज्ञान इस शक को साबित करने का आधार दे रहे है, किसने सोचा था कि किसी समय में अपराध के मामले सुलझाने या फिर चिकित्सा के क्षेत्र तक ही सीमित डीएनए की थ्योरी आज यह रूप ले लेगी । चाहे अपने साथी पर शक हो, यह पता लगाना हो कि पत्नी जिस बच्चो को जन्म देनेवाली है वह मेरा है या नहीं। रिश्तों को नए तरीके से परखने के लिए यह एक नया बदलाव है, जो हमारे समाज में दबे पांव चला आया है । गंगाजल या गीता को हाथ में ले कर कहो, खाओ मेरी कसम, मंदिर में चल कर कह दो कि यह बच्चाा मेरा ही है जैसे भरोसों के बावजूद शक की जो दरार पडी रह जाती थी, कम से कम इस डीएनए मैचिंग की रिपोर्ट आने के बाद भर तो जाती है, कहनेवाले कह देते है पर इन मामलों की बढती संख्या चौंकती है। किस ओर जा रहे हमारे रिश्ते। सभी के दिमाग में शक का कीडा कुलबुला रहा है। इंडियन बायोसाइंसेज के अलावा पूरे भारत में ऎसे लैब्स हैं, जंहा ना सिर्फ भारत बल्कि विदेशों के सैंपल्स भेजे जाते हैं। लैब्स में तो सिर्फ इनफिडेलिटी टेस्ट ही किया जाता है।