स्वस्थ और सुरक्षित रहें नन्हीं आंखें
By: Team Aapkisaheli | Posted: 31 Aug, 2013
लक्षण-
बच्चो की दृश्य क्षमता जीवन के पहले महीने या पहले साल में तेजी से विकसित होती है। ऎसे में आपको अपने बच्चो की जांच किसी भी तरह के लक्षण समाने आने से पहले या लक्षण पता लगते ही करा लेनी चाहिए। इसके लिए बच्चो के व्यवहारिक लक्षणों पर नजर रखें जोकि उसकी देखने की क्षमता से सम्बन्धित हो। अगर किसी बच्चाों को देखने में परेशानी हो, तो उसकी पढाई से सम्बन्धित जांच की जानी चाहिए। बच्चो की दोनों आंखें एक साथ काम नहीं करती तो यह उसकी विजुअल मोटर स्कील और स्कूल उसके प्रदर्शन को प्रभावित करता है। माता-पिता बच्चाों की आंखों से सम्बन्धित निमA प्रॉब्लम्स पर गौर करें, यह निमA लक्षण इस बात के संके तक हैं कि बच्चो की आंखों जरूरी है जैसे-तिरछी आंखें, एक-दूसरे से अलग दिशा में देखती हों, जरूरत से ज्यादा पलके झपकना, लाल हो जाना, पानी से भरी आंखें, पलक पर सफेद पपडी जमना और मितली या भारीपन लगना, आंखों में जलन या खुजली आदि होना।