लव रिश्लेशनशिप में क्या सही, क्या गलत
By: Team Aapkisaheli | Posted: 07 Sep, 2013
जब कमर्चारी कपडे लैटेस्ट डिजाइन के और नए-नए पहनकर दफ्तर आने लगें और दिवाली या ईद आसपास न हो तो समझो प्रेम पर बहार आई हुई है। जब दो लोग साथ आते हों और साथ जाते हों तो यह महज इत्तेफाक नहीं है भले ही वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हों कि वे आपस में अजनबी हैं। जब बार-बार मोबाइल पर एसएमएस आने लगें या हर आधा घंटे बाद मैसेंजर एलर्ट ई-मेल का संकेत देता हो तो समझ लें दो दिल धडक रहे हैं। जब आंखें आंखों को तलाश रही हों तो यह प्यार है। सर्वे के नतीजों पर किसी को ताज्जुब नहीं हुआ है। जो लोग दफ्तर जाते हैं उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि कार्यस्थल पर सोशल चैंजेस आ रहा है। खासकर इसलिए भी क्योंकि आज काम का भी दबाव है और करियर का भी, नतीजतन कर्मचारी ज्यादा से ज्यादा समय एक-दूसरे के साथ गुजार रहे हैं। ऎसे में प्रेम प्रसंगों की तादाद में इजाफा होना स्वाभाविक है। साथ काम करते समय एक-दूसरे को समझने का अच्छा मौका मिलता है। बेहतर आपसी समझ बन जाती है। एक-दूसरे के लिए सम्मान भी आ जाता है। ऎसे में कब प्यार अंकुरित हो जाए कुछ पता ही नहीं चलता। बहरहाल ये ऑफिस रोमांस कॉल सेंटरों तक ही सीमित नहीं है। दरअसल हो यह रहा है कि हर दफ्तर में वर्क फोर्स कम उम्र की है।