चेहरे पर मुंहासे और बाल से महिलाओं में तनाव का खतरा
By: Team Aapkisaheli | Posted: 15 Jan, 2019
नई दिल्ली। महिलाओं के चेहरे पर मुंहासे और बाल वर्तमान में एक आम समस्या
बन गए हैं इससे उनमें समाज में शर्म की स्थिति झेलने के साथ-साथ भावनात्मक
तनाव और अवसाद की चपेट में आने का खतरा रहता है। इस समस्या को पॉलीसिस्टिक
ओवरियन सिन्ड्रोम (पीसीओएस) कहा जाता है, जिसका जल्दी ही उचित उपचार मिलने
से भावनात्मक तनाव कम हो सकता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिन्ड्रोम
वास्तव में एक मेटाबोलिक, हार्मोनल और साइकोसोशल बीमारी है, जिसका प्रबंधन
किया जा सकता है, लेकिन ध्यान नहीं दिये जाने से रोगी के जीवन पर बुरा
प्रभाव पड़ सकता है। एक अध्यनन के मुताबिक, भारत में पांच में से एक वयस्क
महिला और पांच में से दो किशोरी पीसीओएस से पीडि़त है। मुंहासे और
हिरसुटिज्म पीसीओएस के सबसे बुरे लक्षण हैं।
पीसीओएस का प्रमुख
लक्षण है हाइपरएंड्रोजेनिज्म, जिसका मतलब है महिला शरीर में एंड्रोजन्स
(पुरुष सेक्स हॉर्मोन, जैसे टेस्टोस्टेरोन) की उच्च मात्रा। इस स्थिति में
महिला के चेहरे पर बाल आ जाते हैं।
दिल्ली में ऑब्स्टेट्रिक्स एवं
गायनेकोलॉजी की निदेशक व दिल्ली गायनेकोलॉजिस्ट फोरम (दक्षिण) की अध्यक्ष
डॉ. मीनाक्षी आहूजा ने कहा, ‘‘त्वचा की स्थितियों, जैसे मुंहासे और चेहरे
पर बाल को आम तौर पर कॉस्मेटिक समस्या समझा जाता है। महिलाओं को पता होना
चाहिए कि यह पीसीओएस के लक्षण है और हॉर्मोनल असंतुलन तथा इंसुलिन
प्रतिरोधकता जैसे कारणों के उपचार हेतु चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।’’
मुंहासे
और हिरसुटिज्म के उपचार के बारे में डॉ. मीनाक्षी आहूजा ने कहा, ‘‘पीसीओएस
एक चुनौतीपूर्ण सिन्ड्रोम है, लेकिन जोखिमों का प्रबंधन करने के पर्याप्त
अवसर हैं। पीसीओएस के बारे में बेहतर जागरूकता की आवश्यकता है, ताकि
महिलाएं लक्षणों को पहचानें और सही समय पर सही मेडिकल सहायता लें।’’
उन्होंने
कहा, ‘‘स्वस्थ जीवनशैली, पोषक आहार, पर्याप्त व्यायाम और उपयुक्त उपचार
अपनाने से पीसीओएस के लक्षण नियंत्रित हो सकते हैं। पीसीओएस के कारण होने
वाला हॉर्मोनल असंतुलन उपचार योग्य होता है, ताकि मुंहासे और हिरसुटिज्म को
रोका जा सके। गायनेकोलॉजिस्ट से उपयुक्त मेडिकल मार्गदर्शन प्रभावी उपचार
के लिए महत्वपूर्ण है।’’
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