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गर्भावस्था में महिलाएं बरतें ये सावधानियां

By: Team Aapkisaheli | Posted: 18 Sep, 2017

गर्भावस्था में महिलाएं बरतें ये सावधानियां
मां बनना एक औरत के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और खूबसूरत अहसास होता है। लेकिन गर्भ धारण करने से लेकर प्रसव होने तक उन्हें अपना खयाल किस तरह से रखना चाहिए इस बारे में अक्सर वे दिशाभ्रमित हो जाती हैं और अपना उचित ध्यान नही रख पाती हैं। गर्भवती को स्वयं के लिए ही नहीं, वरन आने वाले शिशु के लिए भी सही जानकारी रखना जरूरी होता है। आइए , जानते हैं एक गर्भवती महिला को कैसे अपना और आने वाले शिशु का ध्यान रखना चाहिए इन बातो का ध्यान रखें
जैसे ही आपको पता चलता है कि आप गर्भवती हैं, तुरंत डाक्टर से मिलें। हर अस्पताल में एंटीनेटल केयर के तहत गर्भावस्था का ख्याल रखा जाता है। वहां अपने नाम का एक कार्ड बनवाएं तथा हर 15 दिन बाद डाक्टर से अपना चेकअप करवाती रहें। समय-समय पर आपको अपने हीमोग्लोबिन की जांच कराना भी जरूरी होता है। गर्भकाल में खून की कमी न हो, इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए अन्यथा प्रसव के समय परेशानियों का सामना करना पड सकता है।महीने की पहली तारीख को अपना वजन चेक करें। गर्भकाल में वजन बढना आम बात है। बढे हुए वजन से उच्च रक्तचाप, ह्वदयरोग, मधुमेह आदि संभव है। सप्ताह में दो बार पेशाब की जांच करवाएं, सामान्यत: पेशाब में एल्ब्यूमिन प्रोटीन अनुपस्थित रहता है मगर गर्भकाल में कोई जटिलता होने पर पेशाब में एल्ब्यूमिन प्रोटीन आने लगता है। गर्भ काल में हार्टबर्न की समस्या आम है। इस क्रिया में पेट में जलन वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जब अमाशय से निकल कर भोजन के रास्ते से होकर मुख तक पहुंचता है तो मुंह खट्टे पानी से भर जाता है। यह स्थिति गर्भकाल में अक्सर उत्पन्न हो जाती है। कमर का दर्द आजकल की आम समस्या है लेकिन गर्भकाल में इसकी संभावना बहुत अधिक बढ जाती है। ऎसा कई बार कैल्शियम की कमी से भी होता है। शरीर को सही स्थिति में रखकर भरपूर आराम करना ही इस तकलीफ का एकमात्र इलाज है।गर्भावस्था में पैरों की मांसपेशियों में अकडन, ऎंठन होना भी सामान्य समस्या है। इसके लिए गर्भवती महिला को भरपूर मात्रा में कैल्शियम लेना चाहिए। मांसपेशियों की हल्की मालिश करने पर भी आराम मिलता है। गर्भावस्था में असावधानी से होने वाली परेशानियां
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप सबसे बडी समस्या है। रेगुलर चेकअप ही श्रेष्ठ उपाय है। उच्च रक्तचाप यदि लंबे समय तक रहे तो ह्वदय रोग, लकवा, आंखों की रोशनी चले जाने जैसी तकलीफों से गुजरना पड सकता है। मूत्र में एल्ब्यूमिन प्रोटीन का उपस्थित होना भी इस समय की बडी परेशानी है। इससे से शरीर में सूजन तथा गुर्दो पर अकारण अनावश्यक दबाव पडता है, जिस से इन अंगों की कार्यप्रणाली भी बाधित हो सकती है। क मिर्गी के दौरे भी गर्भावस्था की परेशानियों में शामिल हैं, यदि ऎसा हो तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। � उच्च रक्तचाप, वजन बढना, पेशाब में एल्ब्यूमिन प्रोटीन का उपस्थित होना, मिर्गी के दौरे पडना आदि परेशानियां हों तो इस स्थिति को चिकित्सकीय भाषा में "टॉक्सीमिया ऑफ प्रेग्नेंसी" कहते हैं। इससे ग्रस्त महिला को स्थिति का पता तब चलता है जब पहनी हुई अंगूठी उंगली में कसने लगती है। गर्भकाल में होनें वाली भ्रांतियां इन दिनों गर्भवती महिलाएं अनेकानेक भ्रान्तियों का शिकार हो जाती हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वे भ्रातियां -
� सहवास नहीं करना चाहिए : गर्भवती महिलाएं सोचती हैं कि वे गर्भकाल में सहवास नही कर सकती हैं। लेकिन ऎसा नही है आप डॉक्टर की सलाह से सहवास का पूर्ण आनन्द ले सकती हैं। परन्तु अंतिम तीन माह में इसे टालना ही ठीक रहेगा अन्यथा शिशु को हानि हो सकती है या फिर रक्तस्त्राव अधिक हो सकता है। व्यायाम हरगिज न करें : यह भी एक भ्रांति ही है, यदि आप नियमित जांच करवा रही हैं तथा गर्भकाल के सामान्य दौर से गुजर रही हैं तो हल्के व्यायाम करने में कोई हर्ज नहीं है, जैसे पैदल चलना, तैराकी आदि। हां, प्रसव की तारीख के नजदीकी दिनों में पूरी तरह से आराम करना ही श्रेष्ठ है। खूब खाना चाहिए : गर्भकाल में आपको अपने साथ अपने शिशु के लिए भी भोजन करना आवश्यक होता है, पर इसका मतलब यह भी नहंी कि आप जरूरत से ज्यादा खाएं, बस, आपका आहार संतुलित होना चाहिए जिसमें सभी पोषक तत्वों का पर्याप्त मात्रा में समावेश हो। गर्भकाल के खतरनाक लक्षण
यदि गर्भावस्था के दौरान निम्न लक्षणों से आप ग्रसित हैं तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें क्योंकि इन्हें नजरंदाज करना आप और आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।
योनि मार्ग से रक्तस्त्राव होना चेहरे या उंगलियों पर सूजन आना लगातार असहनीय सिरदर्द होना लगातार उल्टियो का दौर कंपकंपी के साथ बुखार आना पेशाब मार्ग में रूकावट योनि मार्ग से तरल पदार्थ का निकलना पेट दर्द होना आंखों की रोशनी में परिवर्तन आना।
पीरियड्स में इन से रहें दूर
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