बोलने में छुपा है हैल्थ का राज
By: Team Aapkisaheli | Posted: 17 July, 2013
यदि व्यक्ति की इन आंतरिक क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं की अभिव्यक्ति न हो या अभिव्यक्ति में व्यवधान उत्पन्न हो तो मानव मन में तनाव उत्पन्न होता है। व्यक्ति शांति व सुख पाने की चाह में हमेशा तनावों को अभिव्यक्त करने की कोशिश में लगा रहता है। जब व्यक्ति तनाव की शाब्दिक अभिव्यक्ति यानी वाक अभिव्यक्ति में अपने को असमर्थ पाता है तो वह इसके लिये अनुचित साधनों का सहारा लेता है, जैसा-कक्षा में जो शिक्षक छात्रों के अवांछित व्यवहारों से खिन्न होने के बाद उन्हें पीटने, डांटने-फटकारने या उपदेशात्मक रूप में अपनी भडास निकालने में असमर्थ होता है, वह परीक्षा में उत्तर पुसित्काओं के मूल्यांकन के समय या प्रायोगिक परीक्षा में छात्रों को कम अंक प्रदान करके अपने असंतोष को अभिव्यक्त करता है। जब तक वह अपने इस असंतोष या खिन्नता को अभिव्यक्त नहीं कर लेता, तब तक तनाव के कुरेदन से परेशान रहता है और इस तनाव को व्यक्त करके परेशानीयुक्त परिस्थिति से छुटकारा पाने के लिये प्रयत्नशील रहता है।