अबकी बार 8 दिन का ही होगा शारदीय नवरात्र, जानिए मां दुर्गा के नौ अवतारों के बारे में
By: Team Aapkisaheli | Posted: 07 Oct, 2021
शारदीय नवरात्र आज से शुभारंभ हो चुके है। अबकी बार नवरात्र का त्यौहार आठ
दिन का ही है। 14 अक्टूबर को समापन होगा। इस बार श्राद्ध की तिथि एक दिन
बढ़ गई थी। इसी का प्रभाव नवरात्रि पर पड़ा है। 9 दिन की जगह इस बार
नवरात्रि महज 8 दिन का होगा। तीसरा और चौथा नवरात्रि एक ही दिन होगा।
(1) शैलपुत्री
शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। ये
ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप
में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्र-पूजन में
प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना
में योगी अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग
साधना का प्रारंभ होता है।
(2) ब्रह्मचारिणी
दूसरे नवरात्र में मां के ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता
है। जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य,
संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर
लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं।
(3) चंद्रघंटा
माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि उपासना में
तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का
पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट
होता है।
माँ चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य
सुगंधियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियाँ सुनाई
देती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं।
(4) कूष्मांडा
नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कुष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती
है। इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे
अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में
रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।
जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की
थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल
के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल
इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही
दैदीप्यमान हैं।
(5) स्कंदमाता
उनके पुत्र कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है इसीलिए वह स्कंद की माता कहलाती है।
(6) कात्यायिनी
महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था, इसीलिए वे कात्यायिनी कहलाती है।
(7) कालरात्रि
मां पार्वती काल अर्थात् हर तरह के संकट का नाश करने वाली है इसीलिए कालरात्रि कहलाती है।
(8) महागौरी
माता का रंग पूर्णत: गौर अर्थात् गौरा है इसीलिए वे महागौरी कहलाती है।
(9) सिद्धिदात्री
जो भक्त पूर्णत: उन्हीं के प्रति समर्पित रहता है, उसे वह हर प्रकार की सिद्धि दे देती है। इसीलिए उन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।
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