हॉट डॉग तकनीक से हुआ बोन कैंसर का इलाज, कैसे, यहां पढ़ें
By: Team Aapkisaheli | Posted: 14 Feb, 2020
जयपुर। हॉट डॉग तकनीक के जरिये भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड
रिसर्च सेंटर में 13 साल के बच्चे की सफल सर्जरी की गई है। ऑर्थोऑन्को
सर्जन डॉ प्रवीण गुप्ता, प्लास्टिक रिकंस्टेक्टिव सर्जन डॉ उमेश बंसल और डॉ
सौरभ रावत की टीम की तरफ से की गई है। इस सर्जरी में कैंसर से जुझ रहे 13
वर्षीय बच्चे के बोन को रेडिएशन की सहायता से कैंसर मुक्त कर, प्लास्टिक
सर्जरी के जरिए उसमें रक्त का प्रवाह बनाने में सफलता हासिल की गई है। इस
पूरी सर्जरी का खर्चा दो लाख रुपये आया है।
डॉ प्रवीण गुप्ता ने बताया
कि बोन कैंसर के रोगियों में ऑपरेशन से कैंसर मुक्त कर हड्डी को दोबारा
इस्तेमाल किया जाता है। कैंसर मुक्त करने के लिए रेडियोथैरेपी व लिक्विड
नाइट्रोजन का इस्तेमाल अभी प्रचलन में हैं। दोबारा उपयोग की गई हड्डी को
वापस जुड़ने में एक से दो साल लग जाते हैं और जुड़ने के बाद भी कमज़ोर ही रहती
हैं। वही इस तकनीक के द्वारा कैंसर मुक्त हड्डी में रक्त का प्रवाह बनाने
से यह हड्डी वापस जुड़ने में तीन से चार महीने का समय लेती है जो कि जुड़ने
के बाद पहले की तरह मजबूत हो जाती हैं। हॉस्पिटल में तीन माह पहले इस तकनीक
से पहला केस किया गया है, इसके सफल परिणाम के बाद अन्य रोगियों के उपचार
में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
डॉ सौरभ रावत ने बताया कि कैंसर
मुक्त की गई हड्डी में रक्त प्रवाह बनाने के लिए दूसरे पांव की हड्डी के
टुकड़े की सहायता ली गई। दूसरे पांव की हड्डी के टुकड़े को इस तरह निकाला गया
कि उस पर कोई हानिकारक प्रभाव ना पड़े; उसके बाद लिए गए टुकड़े को कैंसर
मुक्त हड्डी से समायोजित कर उसमें रक्त प्रवाह बनाया गया। डॉ उमेष बंसल ने
बताया कि इस तकनीक में इससे कुछ ही माह में रोगी स्वस्थ व्यक्ति की तरह
अपने ऑपरेट किए गए पांव को मुवमेंट देने के साथ काम कर सकेगा।
डॉ
गुप्ता ने बताया कि कैंसर रोग बच्चों में भी तेजी से बढ रहा है। डब्यूएचओ
के अनुसार हर साल करीब 3 लाख बच्चे कैंसर का शिकार होते हैं, जिनमें से 78
हजार से ज्यादा अकेले भारत में होते हैं। 0 से 19 साल की उम्र के बच्चों
में ब्लड कैंसर, ब्रेन टयूमर, एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया,
होज्किन्ज लिम्फोमा, साकोर्मा और एंब्रायोनल टयूमर के साथ ही बोन कैंसर के
केसेज देखे जाते है। अन्य कैंसर के मुकाबले बोन कैंसर के केसेज विष्वभर में
तीन से आठ प्रतिशत है। देश में हर साल करीब 400 बच्चों में बोन कैंसर
केसेज देखे जाते है। बीएमसीएचआरसी हर साल करीब 25 बच्चे बोन कैंसर का उपचार
ले रहे है।
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