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जब कुंडली से गुण मिलान नहीं हो तो अपनाएं यह तरीका

By: Team Aapkisaheli | Posted: 30 Nov, 2017

जब कुंडली से गुण मिलान नहीं हो तो अपनाएं यह तरीका
क्या बिना कुंडली मिलान के भी विवाह संभव है? अधिकांश मामलों कुंडली मिलान नहीं हो पाता ऐसे में गुण मिलान अंक शास्त्र के अनुसार किया जा सकता है। ना केवल यूरोप वरन भारतीय मनीषियों के अनुसार भी प्रत्येक अंक अपने आप में खास होता है। दैनिक व्यवहार में भी यह देखा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कोई एक विशेष अंक महत्वपूर्ण होता है।
गुण मिलान का आधार
अंक शास्त्र में नामांक, मूलांक व भाग्यांक इन तीन प्रकार के अंकों से निर्णय लिया जाता है। नाम के अक्षरों के लघुतम योग को नामांक, जन्म दिनांक के योग को मूलांक व जन्म दिनांक, माह व वर्ष के योग को भाग्यांक कहा जाता है। अंग्रेजी के प्रत्येक अक्षर को एक अंक दिया गया है, वर व कन्या दोनों के नाम लिखकर पहले उनका नामांक जाना जाता है फिर उन अंकों की प्रकृति के अनुरूप उनका मिलान कर तय किया जाता है कि यह विवाह सफल होगा या नहीं। इससे पहले अंकों के सवामी व राशि के बारे जानकारी लें।

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 1 अंक के स्वामी सूर्य व राशि सिंह है, 2 अंक के स्वामी चंद्रमा व राशि कर्क है, 3 व 7 अंक के स्वामी देवगुरु बृहस्पति है व इनके राशि क्रमश: धनु व मीन है, 4 व 8 अंक के स्वामी शनि व राशि कुम्भ तथा मकर है 5 अंक के स्वामी बुध व राशि मिथुन व कन्या दोनों है इसी प्रकार 6 अंक के स्वामी शुक्र व राशि वृष तथा तुला है व 9 अंक के स्वामी मंगल व राशि मेष व वृश्चिक है। इन अंकों के तत्व व गुणो की चर्चा करें तो एक, तीन व नौ अंक अग्नि-तत्व प्रधान व दैवीय गुण वाले, दो व सात जल तत्व व भावनात्मक गुण प्रधान, चार व पांच अंक वायु तत्व व बौद्धिक गुण वाले, छह व आठ पृथ्वी तत्व व व्यावहारिक गुण वाले होते हैं और इन जातकों की लगभग यही प्रकृति व गुण होते हैं।
अंकशास्त्र और गुण मिलान
1. अंक वाले वर के साथ : 1 अंक वाली समान नामांक होने के कारण आपसी कलह व विवाद रहेगा, यदि कन्या का नामांक दो है तो किसी कारणवश दोनों में आपसी तनाव बना रहेगा, तीन अंक वाली कन्या के साथ विवाह उत्तम व सुखमय होगा, कन्या का नामांक चार होने पर दोनों के मध्य अकारण ही विवाद होते रहेंगे, पांच नामांक वाली कन्या के साथ गृहस्थ जीवन सुखमय रहेगा, सात व नौ अंक वाली कन्या के साथ सुखमय व आनन्दमय दांपत्य जीवन रहेगा व आठ अंक वाली कन्या के साथ साधारण सुख प्राप्त होंगे।
2. अंक वाले वर के साथ: यह अंक चंद्रमा का है व अधिकांश ग्रहों से इनकी मित्रता है। अत: दो अंक वाले वर के साथ एक व सात अंक वाली कन्याओं के अलावा सभी अंक वाली कन्याओं के साथ सुखद दांपत्य जीवन रहेगा।
3. अंक वाले वर के साथ: तीन अंक वाले वर के साथ एक, दो, छह, आठ व नौ अंक वाली कन्याओं के साथ विवाह सफल व सुखद रहता है, तीन चार व पांच अंक वाली कन्याओं के साथ विवाह जीवन में बाधाएं व तालमेल का अभाव रहता है व सात अंक वाली कन्याओं के साथ सामान्य स्तर का वैवाहिक जीवन रहता है।
4. अंक वाले वर के साथ: इस अंक वाले वर के साथ एक, तीन, छह, सात व नौ अंक वाली कन्याओं के साथ वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहता है जबकि आठ अंक वाली कन्याओं के साथ सामान्य व दो, चार व पांच अंक वाली कन्याओं के साथ सुखद व उल्लासमय वैवाहिक जीवन रहता है।
5. अंक वाले वर के साथ: एक, दो, पांच, छह व आठ अंक वाले कन्याओं के साथ वैवाहिक जीवक सुखद व आनंदमय रहता है, तीन व नौ अंक वाले कन्याओं को वैवाहिक जीवन में संघर्ष व चार तथा सात नामांक वाली कन्याओं के पांच अंक वाले वर के साथ वैवाहिक जीवन सामान्य स्तर का होता है।
 6. अंक वाले वर के साथ: एक अंक की कन्या का उत्तम, दो अंकवाली कन्या का असामान्य, तीन, पांच, सात आठ व नौ अंक वाली कन्याओं के विवाह प्रसंग सफल व चार अंक वाली कन्या के साथ संघर्षमय व छह अंक वाली कन्या के साथ सुखद दांपत्य रहता है।
7. अंक वाले वर के साथ: सात अंक वाले वर के साथ एक, तीन व छह अंक वाली कन्याओं के वैवाहिक संबंध मधुर होते हैं। दो व चार अंक वाली कन्याओ के साथ मधुरता का अभाव रहता है व पांच आठ और नौ अंकों वाली कन्याओं के साथ कुछ कठिनाइयां होती है परंतु आपसी तालमेल से नैया पार करने में सफल होते हैं।
8. अंक वाले वर के साथ: एक, चार, आठ व नौ अंक वाली कन्याओं के साथ विवाह उचित नहीं है, दो व तीन अंक वाली कन्याओं के साथ सामान्य तथा पांच, छह व सात अंक वाली कन्याओं के साथ आठ अंक वाले वर का विवाह सफल व उत्तम रहता है।
9. अंक वाले वर के साथ: इस अंक वाले वर के साथ एक, दो, तीन, छह व नौ अंक वाली कन्याओं के विवाह प्रसंग सफल व सुखमय होते हैं, चार व आठ अंक वाली कन्याओं के विवाह नहीं करने चाहिए क्योंकि मंगल के प्रभाव के कारण इस प्रकार के विवाहों में अलगाव की स्थितियां भी उत्पन्न हो सकती है, जबकि चार व सात अंक वाली कन्याओं के साथ सामान्य स्तर का वैवाहिक जीवन रहता है।
 पं.    नंदकिशोर शर्मा
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