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कब चढता है रोमांस का फीवर...

By: Team Aapkisaheli | Posted: 24 Feb, 2014

कब चढता है रोमांस का फीवर...

 कब चढता है रोमांस का फीवर...
कब चढता है रोमांस का फीवर...
ज्वलंत कामवासना- ये विपरीत लिंगी की उम्र, इच्छा, समय तथा परिस्थिति का भी ध्यान नहीं रखते, इन्हें तो केवल अपनी ही कामवासना को ही शान्त करने का ध्यान रहता है। कभी-कभी तो पागल, कम उम्र की ब�च्चायां, रिश्तेदार महिलाएं, यहां तक कि बहनें और भाभियां भी ऎसे व्यक्ति की वासना का शिकार बन जाती हैं। कई लोगों को संभोगरत जोडों को चोरी छिपे देखने में मजा आता है। ये ब्लू फिल्में, अश्लील तस्वीरें इत्यादि देखने के शौकीन होते हैं और अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए पानी की तरह धन लुटाते हैं। सेक्स एडिक्ट की शिकार महिला को भी कभी-कभी इस रतिसुख में मजा आने लगता है व तब और भी जटिल परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं क्योंकि इस तरह से एक नए सेक्स एडिक्ट का जन्म होता है। कुछ �स्त्रयां पैसों के लालच में, तो कु छ बदनामी के डर से कई वर्षो तक ऎसे पुरूषों का सहयोग करती रहती हैं। कम उम्र की लडकियां तो कभी-कभी स्वयं ही कामी पुरूषों के जाल में फंस जाती हैं और अपनी कामवासना की सतुष्टि करवाती हैं। कई बार घर की अन्य महिलाएं भी घर की बात बाहर न चली जाए, इस डर के कारण अनजान बनी रहती हैं। इतना ही नही कई बार तो सैक्स एडिक्ट परिवार के सदस्य की मदद करती भी देखी गई हैं। खासकर उन पुरूषों की पत्नियां, जो पति से भय खाती हैं या जो स्वयं पथभ्रष्ट होती हैं। वे स्वयं तो कुमार्ग पर चल कर भटकती ही हंै, साथ ही समाज व परिवार में भेद न खुल जाए, इस भय से पति को घूस में अन्य �स्त्रयों से यौनाचार की स्वतन्त्रता भी दे देती हैं कभी-कभी तो ऎसे दंपती ग्रुप सेक्स से भी परहेज नहीं करते हैं।कई बार देखा गया है कि इन मनोरोगियों ने पिता-पुत्री, गुरू-शिष्या जैसे रिश्तों को भी कलंकित कर दिया है। हमारे समाज में अभी पुरूषों की अपेक्षा स्त्री सेक्स एडिक्टों की संख्या बेहद कम है, मगर वर्तमान परिस्थितियों को देख कर तो यही लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब सेक्स फीवर एक संक्रामक रोग की तरह सभी को अपनी चपेट में ले लेगा। इस की खास वजह है अधिक उम्र में शादी, अकेली युवतियों एवं महिलाओं का दूसरे शहरों में जाकर नौकरी करना और शीघ्र तरक्की के लालच में व्यभिचारी व्यक्तियों का सहयोग करना, प्रतिशोध की भावना के साथ पुरूषों से होड के लिए स्वयं सेक्स करना और खुशी महसूस करना, व्याभिचार की शिकार हो जाने पर विरोध न करना, अपनी झूठी तारीफ पाने के लिए स्वयं ही पुरूषों को अपनी तरफ आकर्षित करना, रूपए- पैसों की चाह में स्वयं को बेच देना आदि। सेक्स एडिक्ट अक्सर गर्भनिरोधकों के स्वच्छंद प्रचार-प्रसार व जानकारी का फायदा उठा कर उनके इस्तेमाल से निर्भय होकर यौनाचार कर लेते हैं। अधिक उम्र की बहुत सी विधवाएं किसी दूसरे मर्द से शादी तो नहीं करतीं, ऎसे में वे पति के मित्रों, देवर, जेठ, ससुर आदि से नाजायज संबंध बना लेती हैं।
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